17. त्रिपुरा की जनजातीय लोककथाएँ *संग्रह एवं अनुवाद: डॉ. मिलन रानी जमातिया

बहुत पहले की बात है। एक बुद्धिमान व्यक्ति था। उसे जादुई शक्तियों की जानकारी थी। एक दिन, उसका दामाद इस बात से परेशान था कि आज अपने साथी मजदूरों (रोवाल्म यानी बारी-बारी से काम करने वाले श्रमिक या मजदूर) के साथ दोपहर में क्या खाएगा! इस पर उसके ससुर ने कहा, “चिंता मत करो, भंडार2 के भीतर जाओ और वह हिरन  उठा लाओ, जिसे मैं कल शाम को लाया था।”

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