1. कार्बी लोक का कंठहार : साबिन आलुन ✍ प्रो. जय कौशल
कार्बी जनजाति मुख्यत: पूर्वोत्तर भारत के असम स्थित कार्बी आंगलोंग क्षेत्र में पाई जाती है। कार्बियों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा को कार्बी, आर्लेंग […]
आगे पढ़ें2. अरुणाचल की न्यिशी लोककथाओं के विविध पक्ष ✍ डॉ. जोराम आनिया ताना
देश के विभिन्न भागों की लोककथाओं का अध्ययन करने के बाद हमें ज्ञात होता है कि प्राय: सभी लोककथाओं में कई बातें समान रूप से […]
आगे पढ़ें3. जुम्सी सिराम : जीवन और साहित्य ✍ श्रीमती मोर्जुम लोयी
अरुणाचल प्रदेश की पश्चिमी सियाङ ज़िले के तादिन ग्राम में सन् 1963 के 23 मार्च को जन्मे श्री जुम्सी सिराम जी एक महान साहित्यकार हैं। […]
आगे पढ़ें4. ताङखुल जनजाति का समाज एवं संस्कृति ✍ रिनचुई होराम
पूर्वोत्तर भारत विविध जनजातियों की मिलनभूमि है। इस क्षेत्र के आठों प्रदेशों में कई जनजातियाँ बसती हैं। इनमें से ताङखुल भी एक है। ताङखुल जनजाति […]
आगे पढ़ें5. मिजोरम की जनजातियाँ और भाषाएँ ✍ डॉ. सी ललरमपना
मिजोरम की मिजो मूल जनजतियों की पाँच उपजातियाँ ऐसी हैं, जिनकी अपनी अलग बोली या भाषा है। तथापि संपर्क भाषा के रूप में यहाँ मिजो […]
आगे पढ़ें6. कबुई लोककथाओं के विविध पक्ष ✍ लुजिकलू पानमेई
मणिपुर प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इस राज्य की राजधानी इम्फाल है। यहाँ कबुई, तांगखुल, मरिंग कॉम, मैतेई आदि विभिन्न […]
आगे पढ़ें7. मिजो वर्णमाला गीत ✍ डॉ. जेनी मलसोमदोङकिमी
मिजो भाषा की अपनी लिपि न होने के कारण पौराणिक कहानियाँ, लोकगीत आदि मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित हुए हैं। इसी कारण हर […]
आगे पढ़ें8. “शव काटने वाला आदमी” में अभिव्यक्त मनपा समाज और संस्कृति ✍ डॉ. चुकी भूटिया
पूर्वोत्तर स्थित राज्य अरुणाचल प्रदेश में करीब छब्बीस जनजातियाँ निवास करती हैं। सबकी अपनी भाषा और संस्कृति है। यहाँ की मनपा और सेरदुकपेन जनजातियाँ भी […]
आगे पढ़ें9. त्रिपुरी जनजाति में गॉरिया पूजा ✍ डॉ. बीना देबबर्मा
त्रिपुरा के जनजातीय समाज में त्रिपुरी, रियांग, जमातिया, हालाम, नोवातिया, उचई, मुरासिंह जनजातियों का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक समुदाय के अलग-अलग इतिहास, संस्कृति एवं लोक-मान्यताएँ […]
आगे पढ़ें10. लता ✍ बिद्या दास
“छि: माँ इससे बदबू आ रही है!” एक काले रंग की थैली की ओर राधू के बढ़ते हाथ रुक गये। सिर घुमाकर उसने अपनी बेटी […]
आगे पढ़ें11. प्रतियोगिता ✍ डॉ. जीन एस. ड्खार
जीवन की पाठशाला में कई लोग आये-गये, कोई नाम लेकर यहाँ से गया, कोई बदनाम होकर चला गया। ईमानदार व्यक्ति करता है घोर परिश्रम, उसी […]
आगे पढ़ें12. शांति बाइदेउ : यादों के झरोखे से ✍ डॉ. रीतामणि वैश्य
जीवन से किसी के जाने की पीड़ा का अनुभव उसे ही होता है, जो उस पीड़ा से गुजरा हुआ होता है। मनुष्य दूसरों की पीड़ा […]
आगे पढ़ें13. आमा और हमारा घर ✍ डॉ. मिलन रानी जमातिया
व्यक्ति के लिए यह जीवन और दुनिया दोनों एक रहस्य है। संवेदनशील व्यक्ति के लिए भी उनके परतों को खोल पाना असम्भव-सा है, फिर मुझ […]
आगे पढ़ें14. लोथा लोककथाएँ ✍ संग्रह एवं हिन्दी अनुवाद : टी हेलेन कीकोन
एक गाँव में अप्व्हो नाम का एक आदमी रहता था। वह बहुत धूर्त था। सारा गाँव उससे परेशान रहता था। एक बार गाँव वालों ने […]
आगे पढ़ें15. खुखुन्ये(नागा लोककथा) ✍ संग्रह एवं हिन्दी अनुवाद: ख्रुत्सुलू दोज़ो
बहुत पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़का रहता था। उसके सभी दोस्तों की शादी हो गयी थी। उसकी शादी नहीं हुई थी, […]
आगे पढ़ें16. का पुङ वेइक्यान(खासी लोककथा) ✍ संग्रह एवं हिन्दी अनुवाद : एहसिंग खिएवताम
मेघालय के पूर्वी खासी पहाड़ी जिला के पेनुर्स्ला खंड में उम्न्युह् त्मार नामक एक गाँव है। यह गाँव बांग्लादेश की सीमा में स्थित है। यहाँ […]
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