1. कार्बी लोक का कंठहार : साबिन आलुन ✍ प्रो. जय कौशल

कार्बी जनजाति मुख्यत: पूर्वोत्तर भारत के असम स्थित कार्बी आंगलोंग क्षेत्र में पाई जाती है। कार्बियों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा को कार्बी, आर्लेंग (Arleng) और मिकिर (Mikir) भी कहा जाता है, जो तिब्बतो-बर्मन भाषा परिवार के अंतर्गत आती है। वैसे आर्लेंग का अर्थ यहाँ आदमी होता है, जैसे आप कॉकबरक में बरक को कहते हैं। पूर्वोत्तर की अधिकांश जनजातीय भाषाओं की तरह कार्बियों की भी अपनी लिपि नहीं है। ये रोमन या असमीया लिपियों का इस्तेमाल करते हैं। इस क्षेत्र में साहित्य और शिक्षा की स्थिति पर प्रो. रोंगबोंग तेरांग ने एक जगह लिखा है कि बीसवीं सदी के आठ दशकों में कार्बी भाषा में कोई उल्लेखनीय रचनात्मक साहित्य नहीं लिखा गया है।

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