8. “शव काटने वाला आदमी” में अभिव्यक्त मनपा समाज और संस्कृति ✍ डॉ. चुकी भूटिया

पूर्वोत्तर स्थित राज्य अरुणाचल प्रदेश में करीब छब्बीस जनजातियाँ निवास करती हैं। सबकी अपनी भाषा और संस्कृति है। यहाँ की मनपा और सेरदुकपेन जनजातियाँ भी अरुणाचली संस्कृति के निर्माण में अपनी महत्ती भूमिका का निर्वाह करती आ रही हैं। इस क्रम में येशे दोरजी थोंगछी एक ऐसे रचनाकार हैं जो हैं तो अरुणाचल के, लेकिन अपनी रचनात्मक उर्जा को असमीया भाषा और साहित्य के बलबूते पर अरुणाचल की जनजातीय संस्कृति को उकेरने का काम कर रहे हैं। वे स्वयं सेरडुकपेन जनजाति से सम्बद्ध हैं। उनका नाम असमीया साहित्य और पूर्वोत्तर के साहित्यकारों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है।

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