7. मिजो वर्णमाला गीत ✍ डॉ. जेनी मलसोमदोङकिमी

मिजो भाषा की अपनी लिपि न होने के कारण पौराणिक कहानियाँ, लोकगीत आदि मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित हुए हैं। इसी कारण हर पीढ़ी में इन कहानियों और लोकगीतों में कुछ न कुछ बदलाव की संभावना बनती गयी है। विदित हों कि अँग्रेज मिशनरियों के आने के पश्चात् मिजो भाषा को रोमन लिपि मिली, तत्पश्चात् रोमन लिपि में ही साहित्यिक रचनाओं और पौराणिक कथाओं, लोकगीतों को उसका लिखित रूप मिला। यदि कहा जाए कि मिजो भाषा की साहित्यिक कृतियाँ अन्य भारतीय साहित्यिक कृतियों की अपेक्षा नवीन हैं, तो शायद यह कथन गलत नहीं है; किन्तु अपने इस छोटे समय में मिजो साहित्य ने बहुत प्रगति की है।

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