जीवन की पाठशाला में कई लोग आये-गये,
कोई नाम लेकर यहाँ से गया,
कोई बदनाम होकर चला गया।
ईमानदार व्यक्ति करता है घोर परिश्रम,
उसी परिश्रम के बल पर वह पुण्य का धन कमाता गया।
बेईमान व्यक्ति रचता है घोर षड्यंत्र,
उसी षड्यंत्र के चलते वह पाप का धन जुटाता गया।
होड़ लगी हुई है प्रतियोगिता की,
इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं सभी।
कोई नैतिकता की पूँजी से आगे बढ़ा
तो कोई अनैतिकता के दाव-पेंच से सफल हुआ।