13. प्रतिनिधि, शांतिनिकेतन *सुमिता धर बसु ठाकुर

समय को स्पर्श करता इतिहास

गरजता है यथार्थ के कानों में

छलकता है कितना नृतात्विक प्रयत्न

टूटने-गड़ने का सुख

कितने अधिकार अपने सिरहाने

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *