12. शोषण *मूल(खासी) : प्रो. स्ट्रीम्लेट ड्खार, अनुवाद : डॉ. जीन एस. ड्खार

तेरह वर्षीय, क्या तुम इतनी बड़ी हुई हो

कि अपनी आजीविका खुद कमा सको ?

कोई कहता है,

“अपनी कमाई से तुम मौज मना सकती

ग़रीबी एक इतिहास मात्र रह जाएगी ! ”

किन्तु वास्तविकता सत्य से दूर है

और तुम्हें ज्ञात नहीं

कि तुम्हें फुसलाया गया है I

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