11. गरति *डॉ. रीतामणि वैश्य

आज गरति की नींद कुछ जल्दी खुली। सड़क किनारे घर होने के कारण अक्सर सुबह गाड़ियों में बजने वाले गानों से ही उसकी नींद खुलती है। वह इन बाजारू गीतों को अनसुना कर तकिये को कानों में ज़ोर से दबाती हुई फिर से सोने की कोशिश करती है। पर आज‘…अतिकै सेनहर मुगारे महुरा/तातोकै सेनेहर माको/तातोकै सेनेहर बहागर बिहुटि/नापाति केनेकै थाको1 -गीत के बोल से उसकी नींद टूटी, गीत की धुन से उसका तन-मन रोमांचित हो उठा और मन गीत में डूबता चला गया।

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