Category: वर्ष: 1; संख्या:1; जुलाई-दिसंबर, 2020
1. अरुणाचल प्रदेश की मोनपा जनजाति का लोकजीवन *डॉ. सोनम वाङ्मू
अरुणाचल प्रदेश को 20 फरवरी, 1987 को पृथक राज्य का दर्जा मिला। भारत के पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में से इस भूखंड का भौगोलिक और […]
आगे पढ़ें2. कबुई आदिवासी समाज में लोक-संस्कृति का स्वरूप *रोज़ी कामेई
आज आदिवासी विमर्श ने साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान स्थापित तो कर लिया है, परन्तु उसमें पूर्वोत्तर के आदिवासी समाज का विमर्श अभी न के […]
आगे पढ़ें3. असमीया विवाह गीतों में राम कथा का वर्णन * डॉ॰ अर्चना हजारिका
असम पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों में से एक है। यह पूर्वोत्तर का प्रवेश-द्वार है। यहाँ अनेक जाति – जनजाति के लोग निवास करते हैं […]
आगे पढ़ें4. खासी समाज की मातृवंशीय व्यवस्था *डायाफिरा खारसाती
परिवार सामाजिक संगठन का एक हिस्सा है। परिवार एक ऐसा समूह है जिसमें सदस्यों को रिश्तेदारी या शादी से जोड़ा जाता है। समाज परिवारों से […]
आगे पढ़ें5. नेपाली लोक-संस्कृति की एक झलक *लक्ष्मी प्रसाद शर्मा
लोक का अर्थ जनसामान्य से है, जो विस्तृत रूप से इस पृथ्वी पर फैले हुए हैं। सामान्य अर्थ में शिक्षित समुदाय से भिन्न मानव समुदाय […]
आगे पढ़ें6. मिजोरम का कथा साहित्य : एक परिचय *डॉ. जेनी मलसोमदोङ्किमी
जब हम मिज़ो कथा साहित्य की बात करते हैं, तो सर्वप्रथम वे कहानियाँ हमारे समक्ष आती हैं, जो पुराने समय से पूर्वजों द्वारा मौखिक रूप […]
आगे पढ़ें7. नदराम *मूल (असमीया) : शरतचंद्र गोस्वामी, अनुवाद : संजीव मण्डल
1918 ई. के अक्टूबर महीने की रात नौ-दस बजे हम कुछ साथी खुले बरामदे में बैठकर ‘प्लान्शेट’ खेल रहे थे। महामारी ‘इन्फ्लूएंजा’ तब तक उतनी […]
आगे पढ़ें8. मुक्ति *डॉ. चुकी भूटिया
आज सूचना आई बुआ नहीं रही, सुनकर मन को एक तरह की शान्ति मिली, जीवन की तमाम परेशानियों से उन्हें मुक्ति जो मिल गयी थी। […]
आगे पढ़ें9. लाइसेंस *डॉ. जमुना देबनाथ
शीशे के सामने होठों के ज़ख़्मों पर लाली रगड़ने की कोशिश में लाल, बादामी…तो कभी कॉफ़ी कलर, लाल ही ठीक लगी, बाकी…. बेअसर। ओह !….स्स्स्स्स……कितना […]
आगे पढ़ें10. थैइथैइ *डॉ. फिल्मेका मारबनियांग
चार बहनों और दो भाइयों में सबसे बड़ी थैइथैइ ने अपना बचपन अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल में व्यतीत किया। पिता का अपना कारोबार था। […]
आगे पढ़ें11. गरति *डॉ. रीतामणि वैश्य
आज गरति की नींद कुछ जल्दी खुली। सड़क किनारे घर होने के कारण अक्सर सुबह गाड़ियों में बजने वाले गानों से ही उसकी नींद खुलती […]
आगे पढ़ें12. शोषण *मूल(खासी) : प्रो. स्ट्रीम्लेट ड्खार, अनुवाद : डॉ. जीन एस. ड्खार
तेरह वर्षीय, क्या तुम इतनी बड़ी हुई हो कि अपनी आजीविका खुद कमा सको ? कोई कहता है, “अपनी कमाई से तुम मौज मना सकती […]
आगे पढ़ें13. प्रतिनिधि, शांतिनिकेतन *सुमिता धर बसु ठाकुर
समय को स्पर्श करता इतिहास गरजता है यथार्थ के कानों में छलकता है कितना नृतात्विक प्रयत्न टूटने-गड़ने का सुख कितने अधिकार अपने सिरहाने
आगे पढ़ें14. आहत प्रकृति, मत रूठो मेरी कविता
अब सिर्फ सुमेरु नहीं/हथेलियों पर/संसार समेटने के/फिराक में है आदमी,
आगे पढ़ें15. मिचिङ लोककथाएँ *संग्रह व अनुवाद: डॉ. नंदिता दत्त
मिचिङ भाषा में ‘मि’ का अर्थ ‘मनुष्य’ और ‘यांचि’ का अर्थ ‘गोरा अथवा अच्छा’ होता है, तो इस हिसाब से मिचिङ का अर्थ हुआ ‘अच्छा […]
आगे पढ़ें16. उ मनिक रायतांग(खासी लोककथा) *संग्रह एवं अनुवाद: किंट्यूरिटी जिर्वा
उत्तर शिलांग के कुछ मील आगे, एक सुखद पर्वत है, जिसे रायतांग पर्वत के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल से यह एक प्रसिद्ध […]
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